गुसले मय्यित का बयान 

मय्यित को गुस्ल देना फ़र्ज़ किफ़ाया है वहीं बहुत सी फजीलतों और अज्रो सवाब के हुसूल का जरीआ भी है और जो खुलूस दिल से हुसूले सवाब के लिये मय्यित को गुस्ल दे तो अल्लाह की रहमत से गुनाहों की बखिशश का हकदार बन जाता है । 


मय्यित नहलाने की फजीलत 

हज़रते सय्यिदुना जाबिर रद्दीअल्लाहुअन्हो  से रिवायत है कि ताजदारे रिसालत , शहनशाहे नबुव्वत सलल्लाहोअलयवासं  ने फ़रमाया : जिस ने किसी मय्यित को गुस्ल दिया वोह अपने गुनाहों से ऐसा पाको साफ़ हो जाएगा जैसा उस दिन था जिस दिन उस की मां ने उसे जना था । 


चालीस कबीरा गुनाहों की बखिशश का नुस्खा 

हदीसे पाक में है : जिस ने किसी मय्यित को गुस्ल दिया और उस के ऐब को छुपाया खुदाए रहमान ऐसे शख्स के चालीस कबीरा गुनाह बख्श देता है ।