नमाज़ ए जनाज़ा मुतफ़र्रिक़ Namaz E Janaza Mutfarrik जरुरी मालूमात In Hindi
नमाज़ ए जनाज़ा मुतफ़र्रिक़ Namaz E Janaza Mutfarrik जरुरी मालूमात। एक मोमिने को जानना बहुत जरुरी हैं और अहम भी। नमाज़ ए जनाज़ा इस्लाम में एक शर्त हैं, जिससे अदा करना एक मर्द मोमिन के लिए जरुरी हैं.
नमाज़ ए जनाज़ा मुतफर्रिक़ Namaz E Janaza Mutfarrik की बात करे तो कुछ ऐसी बाते जो मय्यत के लिए बहुत जरुई हैं. मय्यत को निलहाते और लिटाते या डोले में जिसमे मय्यत को लेके जाते हैं उसमे मय्यत को किस तरह रखना ये सब मय्यत के लिए बहुत जरुरी हैं बहुत एहम हैं
तो आइये जानते हैं नमाज़ ए जनाज़ा मुतफ़र्रिक़ Namaz E Janaza Mutfarrik की जरुरी मालूमात जो हर मोमिन शायद ही जनता हैं
नमाज़ ए जनाज़ा मुतफ़र्रिक़ (Namaz E Janaza Mutfarrik)
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- मय्यित के दोनों हाथ करवटों में रखें , सीने पर न रखें कि येह कुफ्फार का तरीका है ।
- बाज़ जगह नाफ़ के नीचे इस तरह रखते हैं जैसे नमाज के कियाम में , येह भी न करें ।
- मय्यित ने अगर कुछ माल छोड़ा तो कफ़न उसी के माल से होना चाहिये ।
- किसी ने वसीयत की , कि कफ़न में उसे दो कपड़े दिये जाएं तो येह वसिय्यत जारी न की जाए , तीन कपड़े दिये जाएं और अगर येह वसिय्यत की , कि हज़ार रूपे का कफ़न दिया जाए तो येह भी नाफ़िज़ न होगी मुतवस्सित दरजे का दिया जाए ।
- उलमा व मशाइख को बा इमामा दफ्न किया जा सकता है , आम लोगों की मय्यित को मअ इमामा दपनाना मन्अ है ।
- बा'दे गुस्ले मय्यित , कफ़न में चेहरा छुपाने से कब्ल , पहले पेशानी पर अंगुश्ते शहादत से बिस्मिल्ला इर्रहमान निर्रहीम लिखिये ।
- इसी तरह सीने पर "लाइलाहा इल्ललला मोहम्मदुर रसूलल्लाह सल्ले अलाहो ताला अलयवासल्लम"
- दिल की जगह पर या " रसूलल्लाह सल्ले अलाहो ताला अलयवासल्लम "
- नाफ़ और सीने के दरमियानी हिस्सए कफ़न पर : या गौसे आज़म दस्तगीर रदी अल्लाहु ताला अन्हा , या इमाम अबू हनीफा रदी अल्लाहु ताला अन्हा , या इमाम अहमद रज़ा रदी अल्लाहु ताला अन्हा , या शैख ज़ियाउद्दीन रदी अल्लाहु ताला अन्हा शहादत की उंगली से लिखें ।
- अपने पीर साहिब का नाम भी लिख सकते हैं ।
- नीज़ नाफ़ के ऊपर से ले कर सर तक तमाम हिस्सए कफन पर ( इलावा 9 पुश्त के ) " मदीना मदीना " लिखा जाए । याद रहे ! येह सब कुछ रोशनाई से नहीं सिर्फ अंगुश्ते शहादत से लिखना है और कोई सय्यिद साहिब या आलिमे दीन लिखें तो सआदत है ।
- दोनों आंखों पर मदीनतुल मुनव्वरा की खजूर की घुटलियां रख दी जाएं ।
- अगर किसी इस्लामी बहन के मख्सूस अय्याम हों या हामिला हो तो वोह मय्यित को देख सकती है इस में कोई हरज नहीं ।
( दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत )
- कफन के कपड़े को सिलाई मशीन ( या हाथ ) से सिलाई लगा सकते हैं ।
( दारुल इफ्ता अहले सुन्नत )
इस तरह नमाज़ ए जनाज़ा मुतफ़र्रिक़ Namaz E Janaza Mutfarrik हैं जो हर सुन्नी अक़ीदा मोमिन के मय्यत में अमल करना चाहिए और मय्यत को राहत का सबब बनना चाहिए। इसे पढ़े याद रखे और अमल करे और जरुरी बात इसे शेयर करे इसाले सवाब के नियत से. अस्सलामु अलैकुम
subhanallah aap ne bahut acche se namazquran ke baare bataye hai maza aa gaya
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