कफ़न के अहकाम बयांन Kafan Ke Ahkam Bayan In Hindi

कफ़न के अहकाम बयांन Kafan Ke Ahkam Bayan In Hindi

कफ़न के अहकाम बयांन Kafan Ke Ahkam Bayan In Hindi


कफ़न के अहकाम बयांन Kafan Ke Ahkaam Bayan In Hindi
Kafan Ke Ahkaam Bayan

अपने आखिर और असली लिबास कफ़न Kafan Ke Ahkaam Bayan के बारे में कुछ खास और अहम जानकारी जो अल्लाह के रसूल ने बताया हैं उसके बारे में जरुरी मालूमात हासिल करते हैं। 

Kafan Ke Ahkaam Bayan - कफ़न ये एक मोमिन मुस्लमान का आखिर लिबास होता हैं जिसे पहन कर वो अपने असली घर में कबर में दफ़न हो जाता हैं और अल्लाह से जा मिलता हैं अब भले ही वो दुनिया में रहकर मंहगे महंगे कपडे छोड़ जाता हैं जो दुनिया में उसके बगैर वह घर के बहार नहीं निकल पता था। मगर मौत का जाम पिने के बाद वो एक कपडे में अपने घर से निकला जाता हैं  

जिस तरह हम  दुनिया में रहकर कपड़ो की मालूमात और फैशन का ख्याल रखते हैं और नए नए फैशन में अपने आप को ढलने के लिए उन कपड़ो की हर मालूमात जानकारिया मालूम हासिल करते हैं इस चक्कर में हम अपने नबी की सुन्नत कपड़ो वाली तर्क कर देते हैं जब की हमें ये सब छोड़ कर जाना होता हैं 

उसी तरह हमें अपने आखिर कपडा कफ़न Kafan की भीं ज़िन्दगी में रहकर मालूमात कर लेना चाहिए और अपने रिश्तेदारों और अज़ीज़ो को ये मालूमात बताना चाहिए की मैं जब इस दुनिया से जाऊ तो मेरे कफ़न का इस तरह मुझे पहना कर अलविदा देना। 

तो आइये कफ़न के अहकाम और बयांन Kafan Ke Ahkaam जानते हैं 


कफन कैसा होना चाहिये ? ( Kafan Ke Ahkaam )

कफ़न अच्छा होना चाहिये या'नी मर्द इदैन व जुमुआ के लिये जैसे कपड़े पहनता था और औरत जैसे कपड़े पहन कर मैके जाती थी उस कीमत का होना चाहिये । हदीस में है , मुर्दो को अच्छा कफ़न दो कि वोह बाहम मुलाकात करते और अच्छे कान से तफाखुर करते या'नी खुश होते हैं । 

सफेद कफ़न Kafan बेहतर है कि नबिय्ये अकरम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम  ने फ़रमाया : अपने मुर्दे सफ़ेद कपड़ों में कफ़नाओ । 

पुराने कपड़े का भी कफ़न हो सकता है , मगर पुराना हो तो धुला हुवा हो कि कफन सुथरा होना मरगूब है । 

कफ़न अगर आबे ज़म ज़म या आबे मदीना बल्कि दोनों से तर किया हुवा हो तो सआदत है ।

मोमिन के मय्यत को कफ़न Kafan के तीन कपडे जरुरी हैं, जिसे लुंग , कमीस और चादर कहते हैं 

मोमिन की मय्यत को कफ़न देना उसके घर वालो या रिश्तेदारों पर वाजिब नहीं हैं, अब भले उसके खर्च की जिम्मेदारी उसके ऊपर वाजिब क्यू न हो 

मय्यत का कपडा इतना हल्का भी ना हो हल्का से मुराद इतना पतला भी ना हो की कफ़न Kafan पिनाने के बाद मय्यत का बदन जिस्म दिखे। इससे बचना चाहिए 

हज उम्र करते वक़्त अहराम बंधे या ऐसा कोई शक्श मर जाए तो ऐसे शक्श को औरो की तरह कफ़न बांधना पहनना चाइये और उसका सर और काहेरा ढकने में कोई हरज़ नहीं हैं 

 ( मदनी वसिय्यत नामा , स . 4 ) 

कफ़न के अहकाम बयांन Kafan Ke Ahkaam Bayan In Hindi
Kafan Ke Ahkaam Bayan


कफन की तफ्सील ( Kafan Ke Ahkaam )

1 ) लिफ़ाफ़ा : या'नी चादर मय्यित के कद से इतनी बड़ी हो कि दोनों तरफ़ से बांध सकें । 

2 ) इज़ार : ( या'नी तहबन्द ) चोटी ( या'नी सर के सिरे ) से क़दम तक या'नी लिफाफे से इतना छोटा जो बन्दिश के लिये जाइद था । 

3 ) कमीस : ( या'नी कफनी Kafan  ) गर्दन से घुटनों के नीचे तक और येह आगे और पीछे दोनों तरफ बराबर हो इस में चाक और आस्तीनें न हों । मर्द की कफ़नी कन्धों पर चीरें और औरत के लिये सीने की तरफ़ । 

4 ) सीनाबन्द : पिस्तान से नाफ़ तक और बेहतर येह है कि रान तक हो । 

5 ) ओढ़नी : तीन हाथ होनी चाहिये या'नी डेढ़ गज़ । 

(  बहारे शरीअत , हिस्सा 4 , 1/818 ) 

6 ) उमूमन तय्यार कफ़न Kafan ख़रीद लिया जाता है उस का मय्यित के कद के मुताबिक मस्नून साइज़ का होना ज़रूरी नहीं , येह भी हो सकता है कि इतना ज़ियादा हो कि इसराफ़ में दाखिल हो जाए , लिहाजा एहतियात इसी में है कि थान में से हस्बे ज़रूरत कपड़ा काटा जाए । 

( मदनी वसिय्यत नामा , स .11 , हाशिया , 1 ) 


ये जरुरी और छोटी से मालूमात आप नमाज़ ए जनाज़ा के पहले मय्यत को कफ़न के कुछ  कफ़न के अहकाम Kafan Ke Ahkaam  हैं इसे पढ़े याद करे और इसाले सवाब के नियत से शेयर करे किसी मरहूम के मय्यत को सवाब पहुंचने के नियत से। अस्सलामु अलैकुम