मय्यत के कफ़न का बयांन Mayyat Ke Kafan Ka Bayan मालूमात In Hindi
(Mayyat Ke Kafan Ka Bayan) - मरने के बाद इन्सान को जो लिबास पहनाया जाता है उसे कफ़न Kafan कहते हैं , येह फर्जे किफ़ाया है ।
मय्यत के कफ़न पहनाने का बयांन (Mayyat Ke Kafan Ka Bayan) और उसकी फ़ज़ीलत.
मय्यित को कफन पहनाना कारे सवाब है और कई अहादीसे मुबारका में कफ़न पहनाने वाले के लिये जन्नती हुल्लों और नफीस रेशमी लिबासों की बीशारत दी गई है चुनान्चे , एक हदीसे मुबारका मुलाहा फरमाइये
- कफन कैसा होना चाहिये (Kafan Ka Bayan) ?
कफ़न अच्छा होना चाहिये या'नी मर्द इदैन व जुमुआ के लिये जैसे कपड़े पहनता था और औरत जैसे कपड़े पहन कर मैके जाती थी उस कीमत का होना चाहिये । हदीस में है , मुर्दो को अच्छा कफ़न दो कि वोह बाहम मुलाकात करते और अच्छे कान से तफाखुर करते या'नी खुश होते हैं ।
सफेद कफ़न बेहतर है कि नबिय्ये अकरम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम ने फ़रमाया : अपने मुर्दे सफ़ेद कपड़ों में कफ़नाओ ।
पुराने कपड़े का भी कफ़न हो सकता है , मगर पुराना हो तो धुला हुवा हो कि कफन सुथरा होना मरगूब है ।
कफ़न अगर आबे ज़म ज़म या आबे मदीना बल्कि दोनों से तर किया हुवा हो तो सआदत है ।
( मदनी वसिय्यत नामा , स . 4 )
- जन्नती लिबास मय्यत के कफ़न के बयांन में (Kafan Ka Bayan)
हज़रते सय्यिदुना अबू उमामा RA से रिवायत है कि नूर के पैकर , तमाम नबियों के सरवर सल्ललाहोअलेवास्सलम ने फ़रमाया : जिस ने किसी मय्यित को कफ़नाया ( यानी कफ़न पहनाया ) तो अल्लाह उसे सुन्दुस का लिबास ( जन्नत का इन्तिहाई नफ़ीस रेशमी लिबास ) पहनाएगा ।
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- मय्यत के कफ़न के दरजे मय्यत के कफ़न के बयांन में (Kafan Ka Bayan)
कफ़न के तीन दरजे हैं :
1 ) ज़रूरत
2 ) किफ़ायत
3 ) सुन्नत
- कफने जरूरत मय्यत के कफ़न के बयांन में
कफने ज़रूरत मर्द व औरत दोनों के लिये येह कि जो मुयस्सर आए और कम अज़ कम इतना हो कि सारा बदन छुपा दे ।
- कफने किफायत मय्यत के कफ़न के बयांन में (Kafan Ka Bayan)
कफ़ने किफ़ायत मर्द के लिये दो कपड़े हैं :
1 ) लिफ़ाफ़ा
2 ) इज़ार
- कफ़ने किफ़ायत औरत के लिये तीन कपड़े हैं :
1 ) लिफ़ाफ़ा
2 ) इज़ार
3 ) ओढ़नी
या
1 ) लिफ़ाफ़ा
2 ) कमीस
३ ) ओढ़नी
( बाहारे शरीअत , हिस्सा 41 / 817 )
- कफने सुन्नत मय्यत के कफ़न के बयांन में (Mayyat Ke Kafan Ka Bayan)
मर्द के लिये कफ़्ले सुन्नत तीन कपड़े हैं
1 ) लिफाफ
2 ) इज़ार
3 ) कमीस
- औरत के लिये कफने सुन्नत पांच कपड़े हैं :
1 ) लिफाफा
2 ) इज़ार
3 ) कमीस
4 ) सीनाबन्द
5 ) ओढ़नी
( बहारे शरीअत , हिस्सा 4,1 / 817 )
खुन्शा मुश्किल ( या'नी जिस में मर्द व औरत दोनों की अलामात हों और येह साबित न हो कि मर्द है या औरत ) को औरत की तरह पांच कपड़े दिये जाएं मगर कुसुम या जाफ़रान का रंगा हुवा और रेशमी कफ़न उसे नाजाइज़ है ।
- बच्चों को कौन सा कफन दिया जाए मय्यत के कफ़न के बयांन में ?
जो ना बालिग हद्दे शहवत को पहुंच गया वोह बालिग के हुक्म में है या'नी बालिग को कफ़न में जितने कपड़े दिये जाते हैं उसे भी दिये जाएं और इस से छोटे लड़के को एक कपड़ा और छोटी लड़की को दो कपड़े ( लिफाफा और इज़ार ) दे सकते हैं और लड़के को भी दो कपड़े ( लिफ़ाफ़ा और इज़ार ) दिये जाएं तो अच्छा है और बेहतर यह है कि दोनों को पूरा कफन दें अगचें एक दिन का बच्चा हो ।
- कफन की तफ्सील (Kafan Ka Bayan)
1 ) लिफ़ाफ़ा : या'नी चादर मय्यित के कद से इतनी बड़ी हो कि दोनों तरफ़ से बांध सकें ।
2 ) इज़ार : ( या'नी तहबन्द ) चोटी ( या'नी सर के सिरे ) से क़दम तक या'नी लिफाफे से इतना छोटा जो बन्दिश के लिये जाइद था ।
3 ) कमीस : ( या'नी कफनी ) गर्दन से घुटनों के नीचे तक और येह आगे और पीछे दोनों तरफ बराबर हो इस में चाक और आस्तीनें न हों । मर्द की कफ़नी कन्धों पर चीरें और औरत के लिये सीने की तरफ़ ।
4 ) सीनाबन्द : पिस्तान से नाफ़ तक और बेहतर येह है कि रान तक हो ।
5 ) ओढ़नी : तीन हाथ होनी चाहिये या'नी डेढ़ गज़ । ( बहारे शरीअत , हिस्सा 4 , 1/818 )
उमूमन तय्यार कफ़न (kafan ka bayan) ख़रीद लिया जाता है उस का मय्यित के कद के मुताबिक मस्नून साइज़ का होना ज़रूरी नहीं , येह भी हो सकता है कि इतना ज़ियादा हो कि इसराफ़ में दाखिल हो जाए , लिहाजा एहतियात इसी में है कि थान में से हस्बे ज़रूरत कपड़ा काटा जाए । ( मदनी वसिय्यत नामा , स .11 , हाशिया , 1 )
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