गुस्ले मय्यित की नियतें - ( नमाज़ ऐ जनाज़ा में मय्यत को गुसल देने की नियत )

अब गुस्ले मय्यित का तरीका बयान किया जाएगा लेकिन पहले कुछ निय्यतें कर लीजिये ।  

रिज़ाए इलाही पाने और सवाबे आख़िरत कमाने के लिये मय्यित को गुस्ल दूंगा 

फ़र्ज़  किफाया अदा करूंगा 

हत्तल मक्दूर बा वुजू रहूंगा 

ज़रूरतन गुस्ल से कब्ल मुआविनीन को गुस्ल का तरीका और सुन्नतें बताऊंगा 

मय्यित की सत्रपोशी का खुसूसी खयाल रखूगा 

आ'जा हिलाते वक्त नर्मी और आहिस्तगी से हरकत दूंगा 

पानी के इसराफ़  से बचूंगा 

मुर्दे की बे बसी देख कर इबत हासिल करने की कोशिश करूंगा 

मस्अला दर पेश हुवा तो दारुल इफ्ता अहले सुन्नत से शरई रहनुमाई हासिल करूंगा • 

खुदा न ख्वास्ता मय्यित का चेहरा सियाह हो गया या कोई और तगय्युर हुवा तो ब हुक्मे शरअ उसे छुपाऊंगा और मुआविनीन को भी छुपाने की तरगीब दूंगा

अच्छी अलामत ज़ाहिर हुई मसलन खुश्बू आना , चेहरे पर मुस्कुराहट फैलना वगैरा तो दूसरों को भी बताऊंगा । 



इस्लामी बहन के गुसले मय्यत का तरीका 

गुस्ल व कफ़न के लिये इन चीजों का इन्तिज़ाम फ़रमा लें । 

1 ) गुस्ल का तख्ता 

( 2 ) अगरबत्ती 

3 ) माचिस 

4 ) दो मोटी चादरें ( कथ्थई हों तो बेहतर है ) 

5) रूई 

6 ) बड़े रूमाल की तरह के दो कपड़ों के पीस ( इस्तिन्गा वगैरा के लिये ) 

7 ) दो बाल्टियां 

8 ) दो मग 

9 ) साबुन 

( 10 ) बेरी के पत्ते 

( 11 ) दो तोलिये 

( 12 ) कफ़न का बिगैर सिला हुवा बड़े अर्ज का कपड़ा 

( 13 ) कैंची 

14 ) सूई - धागा 

15 ) काफूर 

16 ) खुश्बू ........ 


अगरबत्तियां या लूबान जला कर तीन या पांच या सात बार गुस्ल के तख्ने को धूनी दें या'नी इतनी बार तख्ते के गिर्द फिराएं , तख्ते पर मय्यित को इस तरह लिटाएं जैसे कब्र में लिटाते हैं , 

सीने से घुटनों समेत कपड़े से छुपा दें ( आज कल गुस्ल के दौरान सफ़ेद कपड़ा उढ़ाया जाता है और इस पर पानी लगने से मय्यित के सत्र की बे पर्दगी होती है लिहाज़ा कथ्थई या गहरे रंग का इतना मोटा कपड़ा हो कि पानी पड़ने से सत्र न चमके , कपड़े की दो तहें कर लें तो ज़ियादा बेहतर ) 

पर्दे की तमाम तर एहतियात और नर्मी से मय्यित का लिबास उतारें । 

इसी तरह कील , बुन्दे या कोई और जेवर भी नर्मी से उतार लें 

अब नहलाने वाली अपने हाथ पर कपड़ा लपेट कर पहले दोनों तरफ़ इस्तिन्जा करवाए ( या'नी पानी से धोए ) 

फिर नमाज़ जैसा वुजू करवाएं या'नी मुंह फिर कोहनियों समेत दोनों हाथ तीन तीन बार धुलाएं , 

फिर सर का मस्ह करें , 

फिर तीन बार दोनों पाउं धुलाएं , 

मय्यित के वुजू में पहले गिट्टों तक हाथ धोना , 

कुल्ली करना और नाक में पानी डालना नहीं है , अलबत्ता कपड़े या रूई की फुरैरी भिगो कर दांतों , मसूढ़ों , होंटों और नथनों पर फेर दें । 

फिर सर धोएं , साबुन या शेम्पू या दोनों इस्ति'माल किये जा सकते हैं ( लेकिन इन के ज़ियादा इस्ति माल से बालों में उलझाव पैदा होता है लिहाज़ा बेरी के पत्तों का जोश दिया हुवा पानी काफ़ी है ) 

अब बाई ( या'नी उल्टी ) करवट पर लिटा कर बेरी के पत्तों का जोश दिया हुवा ( जो अब नीम गर्म रह गया हो ) और येह न हो तो ख़ालिस नीम गर्म पानी सर से पाउं तक बहाएं कि तख्ते तक पहुंच जाए 

फिर सीधी करवट लिटा कर इसी तरह करें 

फिर टेक लगा कर बिठाएं और नर्मी के साथ नीचे को पेट के निचले हिस्से पर हाथ फेरें और कुछ निकले तो धो डालें । 

दोबारा वुजू और गुस्ल की हाजत नहीं 

फिर आखिर में सर से पाउं तक काफूर का पानी बहाएं 

फिर किसी पाक कपड़े से बदन आहिस्ता से पोंछ दें । 

गुस्ले मय्यित में बे तहाशा पानी न बहाएं आखिरत में एक एक कृतरे का हिसाब है येह याद रखें ।